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रामलला दर्शन ने जीवन में आध्यात्मिक शांति और सुकून की अनुभूति दी

रायपुर,30 सितंबर 2025 वृद्धा शशी राव ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उन्हें भी मुफ्त में तीर्थ यात्रा का मौका मिलेगा। उन्हें नहीं लगता था क...


रायपुर,30 सितंबर 2025 वृद्धा शशी राव ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उन्हें भी मुफ्त में तीर्थ यात्रा का मौका मिलेगा। उन्हें नहीं लगता था कि वह अब कभी रामलला का दर्शन करने अयोध्या धाम जा पाएगी। जब से अयोध्या में राम मंदिर बना और रामलला विराजमान हुए तब से बेवा शशी राव की इच्छा थी कि वह भी भगवान राम का दर्शन करें। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा तीर्थ यात्रियों का चयन किए जाने के लिए आवेदन मंगाए जाने पर शशीराव ने भी अपना नाम लिखवाया और वह भाग्यशाली रही कि लॉटरी में भी नाम निकल आया। अपना नाम आने के बाद खुद को सौभाग्यशाली मानते हुए शशीराव ने खुशी-खुशी अपने गांव से अयोध्या तक यात्रा की और अयोध्या जाकर अपनी इच्छाओं को पूरा किया। अयोध्या से रामलला का दर्शन करने के बाद खुद को धन्य समझने वाली वृद्धा शशीराव अपनी तीर्थ यात्रा को याद कर खुशियां में समा जाती है और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित छत्तीसगढ़ की सरकार को कोटि-कोटि धन्यवाद करना नहीं भूलती।

रामलला दर्शन तीर्थ यात्रा के यादगार पलों को अपनी जेहन में समेटे हुए वह बताती है कि वह पहली बार अयोध्या गई। कोरबा जिले की पाली विकासखंड के ग्राम परसदा की निवासी वृद्धा शशीराव ने बताया कि गांव के कुछ अन्य लोगों के साथ रामलला दर्शन के लिए चयन होने के बाद वे बस में सवार होकर बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां अन्य यात्रियों के साथ सभी का स्वागत अभिनंदन किया गया। स्पेशल ट्रेन में सवार होने के बाद वे अयोध्या तक पहुंचे। इस दौरान ट्रेन में भजन-कीर्तन का माहौल था और भगवान  राम के जयकारे के साथ लंबी दूरी की यात्रा का पता ही न चला। बनारस पहुंचने के बाद जीवन जैसे खुशियों से भर गया। उन्होंने बताया कि अब तक वह सुनती ही आई थी, अब नजदीक से सब कुछ देखना किसी सपने का सच होने जैसा था। यहां से अयोध्या जाने के बाद रामलला का भव्य मंदिर और उनकी प्रतिमा को देखकर सजीवता का अहसास हुआ। यह पल बहुत ही सुखद अनुभूति कराने वाला अविस्मरणीय पल था। 

वृद्धा शशी राव ने बताया कि तीर्थ यात्रा में जाने का मौका मिला। अन्य तीर्थ यात्रियों के बीच मेल मिलाप और पारिवारिक रिश्ते जैसे अनुभव हुए। उन्होंने कहा कि यात्रा यादगार रही। अभी भी उस यात्रा को याद करने पर भगवान रामलला आंखों में दिखाई देते हैं। वृद्धा शशीराव ने बताया कि वह अपने बेटो के साथ रहती है और अपने गांव के आसपास से कही और नहीं जा पाते। 






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