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युक्तियुक्तकरण बना शिक्षा सुधार का आधार, अब हर स्कूल में विषय विशेषज्ञ शिक्षक

  रायपुर,05 जुलाई 2025 जब भी कक्षा में गणित का नाम लिया जाता, कक्षा 8वीं के बच्चों के चेहरे पर डर और भ्रम साफ नजर आता। समीकरण समझना तो दूर, ...

 


रायपुर,05 जुलाई 2025 जब भी कक्षा में गणित का नाम लिया जाता, कक्षा 8वीं के बच्चों के चेहरे पर डर और भ्रम साफ नजर आता। समीकरण समझना तो दूर, स्क्वायर, क्यूब, रूट या एल्जेब्रा के सवालों में वे ऐसे उलझ जाते मानो यह कोई रहस्य हो। फॉर्मूले याद रहते थे, लेकिन उन्हें सवालों में कैसे और कहाँ लगाना है, यह समझ ही नहीं आता था।

 यह समस्या केवल कोरबा जिले के करतला क्षेत्र की नहीं है, बल्कि प्रदेश के उन सैकड़ों स्कूलों की है जहाँ शिक्षक की अनुपलब्धता के कारण बच्चों की समझ, रुचि और आत्मविश्वास तीनों ही शिक्षा से दूर हो रहे थे। विशेषकर गणित जैसे तकनीकी विषय में, शिक्षक की अनुपस्थिति बच्चों के बुनियादी कौशल के विकास में सबसे बड़ी बाधा बन रही थी। लेकिन अब यह तस्वीर तेजी से बदल रही है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रारंभ की गई युक्तियुक्तकरण नीति के सफल क्रियान्वयन से प्रदेश के सुदूरवर्ती और शिक्षकविहीन स्कूलों में भी विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। इसका उदाहरण कोरबा जिले के शासकीय माध्यमिक शाला, करतला में देखने को मिल रहा है, जहाँ हाल ही में गणित विषय के शिक्षक किशोर केसरवानी की पदस्थापना की गई है।

पूर्व में इस स्कूल में गणित विषय के शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण बच्चों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अब शिक्षक किशोर केसरवानी के आने से न केवल बच्चों की कठिनाइयाँ दूर हुई हैं, बल्कि उनमें गणित के प्रति एक नई रुचि भी जागृत हुई है। शिक्षक केसरवानी ने आते ही बच्चों को सभी मूलभूत फॉर्मूलों को दोहरवाया, उन्हें बीस तक का पहाड़ा याद कराया और गणित को रोजमर्रा की गतिविधियों के माध्यम से समझाने का नवाचार प्रारंभ किया। उनका मानना है कि गणित केवल क्लासरूम तक सीमित विषय नहीं है, यह जीवन का हिस्सा है, इसे चलते-फिरते, खेलते-कूदते और उदाहरणों के माध्यम से समझाया जाना चाहिए। जब गणित से डर खत्म होगा, तब बच्चे उसमें रुचि लेंगे।

छत्तीसगढ़ शासन की इस दूरदर्शी पहल युक्तियुक्तकरण से न केवल एक स्कूल को शिक्षक मिला, बल्कि हजारों ऐसे बच्चों को मार्गदर्शन मिल रहा है, जो अब तक केवल इंतज़ार कर रहे थे। शिक्षा विभाग द्वारा यह कदम उन स्कूलों की पहचान करके उठाया गया, जहाँ शिक्षकों की कमी थी या कोई शिक्षक ही नहीं था। अब ऐसी शालाओं में भी योग्य शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में संचालित यह नीति प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का एक निर्णायक प्रयास है, जिससे बच्चों का भविष्य उज्जवल दिशा की ओर बढ़ रहा है।

स्कूल के छात्रों में इस बदलाव को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। कक्षा आठवीं के छात्र मनीष राठिया ने कहा, पहले हमारे पास गणित का कोई शिक्षक नहीं था। हम सिर्फ किताबों से देखते थे, लेकिन समझ नहीं पाते थे। अब सर के आने से पढ़ाई में मज़ा आने लगा है, और गणित अब डरावना नहीं लगता। वहीं स्कूल के अन्य विद्यार्थियों ने भी शिक्षक की उपस्थिति को लेकर खुशी जाहिर की और कहा कि अब वे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए पहले से अधिक आत्मविश्वास महसूस कर रहे हैं।

केसरवानी इससे पूर्व माध्यमिक शाला फरसवानी में कार्यरत थे। उन्होंने कहा, “सरकार की इस पहल से बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। अब दूरस्थ अंचलों में भी शिक्षा का प्रकाश पहुँच रहा है। जब शिक्षक सही स्थान पर होंगे तभी शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो पाएगा। वे आगे कहते हैं कि गणित जैसे विषय को लेकर अक्सर बच्चों में भय होता है, लेकिन यदि उन्हें सही मार्गदर्शन मिले, तो वे न केवल इस विषय को समझ सकते हैं, बल्कि उसमें उत्कृष्टता भी प्राप्त कर सकते हैं। कोई भी बच्चा अब शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण पीछे न रह जाए। भविष्य में यह पहल प्रदेश के शिक्षा परिदृश्य को एक नई ऊँचाई तक ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी।

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