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नैनो डीएपी से प्रति एकड़ 75 रूपए की बचत, आसानी से उपलब्ध और उपयोग भी सरल

  रायपुर,13 जुलाई 2025 खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही राज्य में पर्याप्त बारिश के बाद किसानों ने धान की बुआई-रोपाई का काम तेजी कर दिया है। इस...

 


रायपुर,13 जुलाई 2025 खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही राज्य में पर्याप्त बारिश के बाद किसानों ने धान की बुआई-रोपाई का काम तेजी कर दिया है। इस वर्ष किसानों को समय पर खाद और बीज की उपलब्धता ने न केवल बुवाई-रोपाई को सुगम बनाया है, बल्कि किसानों को खेती की लागत में कमी से भी फायदा पहुंचाया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर इस वर्ष चालू खरीफ मौसम में किसानों को प्राथमिक सहकारी कृषि साख समितियों के माध्यम से खाद-बीज की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। इससे किसानों को न तो लाइन में लगना पड़ रहा है और न ही खाद-बीज की कालाबाज़ारी या कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। डीएपी की कमी को नैनो डीएपी और दूसरी खादों के उपयोग से पूरा करने की सरकार की रणनीति ने भी इस बार खेती-किसानी के काम को समय पर पूरा करने में खासी भूमिका निभाई है।

कोरबा जिले के ग्राम जामबहार के प्रगतिशील किसान जगत पाल सिंह ने इस साल ठोस डीएपी की कमी के बावजूद शासन की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें इस वर्ष खाद-बीज लेने में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई है। 22 एकड़ भूमि में खेती करने वाले  सिंह ने बताया कि उन्होंने प्राथमिक सहकारी कृषि साख समिति सोनपुरी से यूरिया, डीएपी और नैनो डीएपी लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की किसानों को समय पर खाद-बीज भरपूर मात्रा में उपलब्ध कराने की व्यवस्था ने खूब फायदा पहुंचाया है। खाद-बीज समय पर उपलब्ध हो गए हैं, जिससे खेतों में धान की बुवाई समय पर हो गई और लागत भी घटी है। सिंह ने नैनो डीएपी को भविष्य की खेती का स्मार्ट समाधान बताया। उन्होंने कहा कि कम मात्रा में अधिक प्रभाव वाला यह उर्वरक उत्पादन बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। सिंह ने कहा कि ठोस डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने तरल नैनो डीएपी की भरपूर व्यवस्था कर दी है। तरल नैनो डीएपी से किसानों को धान की एक एकड़ फसल में लागत पर 75 रूपए का फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि जहां एक एकड़ धान में डालने के लिए ठोस डीएपी की एक बोरी पर एक हजार 350 रूपए खर्च आता है, वहीं तरल नैनो डीएपी को आधी बोरी ठोस डीएपी के साथ एक एकड़ धान में उपयोग करने पर केवल एक हजार 275 रूपए ही लगते है। इस तरह किसानों को एक एकड़ में 75 रूपए की लागत कम लग रही है। जगत पाल सिंह ने शासन और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि विष्णुदेव सरकार की योजनाओं ने किसानों में एक नया भरोसा जगाया है। अब हम बिना तनाव के पूरी निष्ठा से खेती कर पा रहे हैं। यह आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है। राज्य सरकार की ये योजनाएं न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी ताकत दे रही हैं। 

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और खेती को लाभकारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्राथमिक सहकारी कृषि साख समितियों की पारदर्शी वितरण व्यवस्थाएं, समयबद्ध आपूर्ति चेन और तकनीकी नवाचारों को प्राथमिकता देते हुए सरकार किसानों तक योजनाओं का लाभ पहुँचा रही है।




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