नई दिल्ली। यूक्रेन, रूस के साथ शांति समझौते के लिए, भारत खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रमुख मध्यस्थ के रूप में देख रहा है. ...
नई दिल्ली। यूक्रेन, रूस के साथ शांति समझौते के लिए, भारत खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रमुख मध्यस्थ के रूप में देख रहा है. पॉलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, कीव को उम्मीद है कि भारत का तटस्थ रुख और कूटनीतिक प्रभाव युद्ध को समाप्त करने की दिशा में अहम कदम हो सकता है. हाल ही में पीएम मोदी की यूक्रेन के प्रेसिडेंट ज़ेलेंस्की से मुलाकात हुई.
यूक्रेनी मीडिया इंटरफैक्स ने ज़ेलेंस्की के शीर्ष सलाहकार एंड्री यरमक के हवाले से बताया, 'यूक्रेन की अपनी यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत कभी भी किसी ऐसी योजना या प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगा, जिसमें यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता शामिल हो.'
एक उच्च पदस्थ यूक्रेनी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि भारत कीव की एक बड़ी उम्मीद है. भारत की वजह से शांति समझौते पर पहुंचा जा सकता है. अधिकारी के अनुसार, मोदी ने कीव के साथ बातचीत में स्पष्ट किया था कि यूक्रेन को रूस के हमले को खत्म करने के लिए कुछ चीजों पर अनिवार्य रूप से समझौता करने की आवश्यकता होगी.
कीव की नजर में मोदी ने कम समय में एक लंबा सफर तय किया है. जब उन्होंने जुलाई में मॉस्को का दौरा किया और रूसी राष्ट्रपति पुतिन को गर्मजोशी से गले लगाया, तो कीव की प्रतिक्रिया तीखी थी. ज़ेलेंस्की ने इस गले मिलने को बहुत बड़ी निराशा और शांति प्रयासों के लिए एक विनाशकारी झटका कहा. क्योंकि उसी दिन रूसी मिसाइल हमले में दर्जनों यूक्रेनियन मारे गए थे.
मॉस्को यात्रा के छह सप्ताह बाद यूक्रेन की नाराजगी बढ़ने पर मोदी ने ज़ेलेंस्की से मिलने के लिए कीव की यात्रा की. उन्होंने कीव के साथ 'मित्र' बने रहने और शांति समझौते में मदद करने की बात कही.
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