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नेशनल लोक अदालत में छह करोड़ रुपए से अधिक का हुआ सेटलमेंट

रायगढ़। वर्चुअल एवं फिजिकल दोनों माध्यमों से जिला न्यायालय रायगढ़ सहित तहसील न्यायालय सारंगढ़, घरघोड़ा, धरमजयगढ़, खरसिया तथा बिलाईगढ़ में नेश...

रायगढ़। वर्चुअल एवं फिजिकल दोनों माध्यमों से जिला न्यायालय रायगढ़ सहित तहसील न्यायालय सारंगढ़, घरघोड़ा, धरमजयगढ़, खरसिया तथा बिलाईगढ़ में नेशनल लोक अदालत का आयोजन हुआ। इस अवसर पर छ.ग.उच्च न्यायालय बिलासपुर के पोर्टफोलियो जज/न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल उपस्थित रहे। न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल के द्वारा जिला मुख्यालय रायगढ़ के न्यायालयीन परिसर में मॉ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर नेशनल लोक अदालत का शुभारम्भ किया गया। उक्त कार्यक्रम में जितेन्द्र कुमार जैन, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, प्रबोध टोप्पो, प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय सहित समस्त अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तथा समस्त मजिस्ट्रेट, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला अधिवक्ता संघ से अध्यक्ष रमेश शर्मा सहित अन्य अधिवक्तागण तथा राजीनामा हेतु उपस्थित पक्षकारगण, न्यायालयीन कर्मचारीगण एवं विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी उपस्थित रहे। 

जिला एवं तहसील न्यायालयों तथा रायगढ़ एवं सारंगढ़-बिलाईगढ के राजस्व न्यायालयों में खण्डपीठों का गठन किया गया। श्रम न्यायालय एवं किशोर न्याय बोर्ड का भी खण्डपीठ गठन किया गया। जिला रायगढ़ एवं सारंगढ़-बिलाईगढ़ के राजस्व न्यायालयों में भी खण्डपीठों का गठन हुआ है। जिला एवं तहसील न्यायालयों तथा राजस्व न्यायालयों में विभिन्न प्रकृति के राजीनामा योग्य मामले जैसे-मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, बैंक वसूली के प्रकरण, आपराधिक मामले, विद्युत मामले, श्रम विवाद, पारिवारिक विवाद, चेक अनादरण, सिविल मामले, राजस्व मामले के साथ-साथ आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 एवं अन्य छोटे अपराधों के मामले, जिसमें यातायात उल्लंघन के मामलों को भी शामिल करते हुए खण्डपीठों में लंबित प्रकरण 4716 एवं प्रीलिटिगेशन प्रकरण21338 को राजीनामा के आधार पर निराकरण हेतु लोक अदालत में रखा गया। इस प्रकार रखे गये कुल 26054 प्रकरणों में से लंबित 3966 एवं प्रीलिटिगेशन 12110 प्रकरण निराकृत हुये। इस प्रकार कुल 16076 प्रकरणों का निराकरण, जिला न्यायालय, परिवार न्यायालय, श्रम न्यायालय, किशोर न्याय बोर्ड, उपभोक्ता फोरम रायगढ़ एवं तहसील स्थित ब्यवहार न्यायालय सारंगढ़, घरघोड़ा, धरमजयगढ़, खरसिया, बिलाईगढ़ व राजस्व न्यायालय में राजीनामा के आधार पर किया गया और उन प्रकरणों के अंतर्गत कुल 6 करोड़ 69 लाख 22 हजार 714 रूपये का सेटलमेंट हुआ। राजीनामा के आधार पर न्यायालयों में लम्बित 05 वर्ष से अधिक अवधि के 39 प्रकरण तथा वरिष्ठ नागरिकों के 05 एवं महिलाओं के लंबित 33 प्रकरणों का निराकरण हुआ। राजस्व न्यायालयों में खातेदारों के मध्य आपसी बंटवारे के मामले, वारिसों के मध्य बंटवारे के मामले, कब्जे के आधार पर बंटवारा के मामले, दण्ड प्रक्रिया संहिता 145 के कार्यवाही के मामले, विक्रयपत्र/दानपत्र/वसीयतनामा के आधार पर नामान्तरण के मामले एवं शेष अन्य प्रकृति के कुल 12302 मामले रखे गये जिनमें से 12006 मामलों का निराकरण आज की लोक अदालत में राजस्व न्यायालयों की गठित खण्डपीठ द्वारा किया गया। आज रायगढ़ के लिये यह ऐतिहासिक उपलब्धि रही है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर से मुख्य न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा द्वारा वीडियो कान्फ्रेन्सिग के माध्यम से न्यायालय प्रवीण मिश्रा, न्यायाधीश खण्डपीठ क्र0- 11 में जुड़कर पोर्टफोलियो न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की उपस्थिति में पति-पत्नि, जो वरिष्ठजन थे, उनके मामले को जो घरेलू हिंसा से संबंधित था तथा जो वर्ष 2021 से लम्बित चला आ रहा था, उसमें राजीनामा कर पति अपनी पत्नी को राजी-खुशी घर ले जाने को तैयार हुआ तथा उसी समय बच्चों को पोटफोलियो जज द्वारा यह समझाईश दी गई कि माता-पिता की सेवा करना और उन्हें अच्छे से रखना यही अपनी ईश्वरी पूजा है, जो अपने भूत, वर्तमान और भविष्य के कर्मों का निर्धारण करता है। समझाईश पश्चात् माननीय पोर्टफोलियो जज द्वारा बुजुर्ग दम्पत्तियों को पौधा जीवन को वृक्ष के समान फलीभूत होने के लिये प्रदान किया गया। इस नेशनल लोक अदालत में यह भी विशेष रही कि परिवार न्यायालय रायगढ खण्डपीठ क्र.-2 में रखे गये भरण-पोषण का मामला विविध आपराधिक प्रकरण क्र.-एफ 11/2024 में न्यायमूर्ति श्री रविन्द्र कुमार अग्रवाल द्वारा उभय पक्षकारों को लोक अदालत के माध्यम से प्रकरण निराकरण के महत्व के बारे में बताया गया। साथ ही सन्तान का दायित्व केवल पुत्र रहने मात्र से पूर्ण नहीं होता, उसे श्रवण कुमार की तरह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होता है, की समझाईश दी गई। महोदय द्वारा दी गई उक्त समझाईश से दोनों पक्षकार के द्वारा खण्डपीठ के समक्ष राजी-खुशी से समझौता कर अनावेदक पुत्र द्वारा आवेदकगण माता-पिता को 10-10 हजार रूपये प्रतिमाह भरण पोषण की राशि अदा करने हेतु सहमति देते हुए अपना प्रकरण समाप्त किया गया।

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