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साहित्य वही जो विचारों को भावनाओं में बदल दे- जयशंकर

बिलासपुर। वनमाली सृजन पीठ में बैठकी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कथा, कथाकार, स्थानिकता विषय पर कथाकारों ने अपनी कहानियों का पाठ किया। कुनक...


बिलासपुर। वनमाली सृजन पीठ में बैठकी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कथा, कथाकार, स्थानिकता विषय पर कथाकारों ने अपनी कहानियों का पाठ किया।

कुनकुरी कांसाबेल से आई कुसुम माधुरी टोप्पो ने कपड़े की गठरी कहानी का पाठ किया, जिसमें दूरस्थ वनांचल और आदिवासी अंचल में रहने वाली लड़की के जीवन के संघर्ष है। इसी तरह कोरबा के साहित्यकार कामेश्वर में रामलला दर्शन की लॉटरी कथा पढ़ी, जिसे सभी ने सराहा। रायपुर के वरिष्ठ साहित्यकार आनंद बहादुर ने भेद कहानी का पाठ किया।

बैठकी की अध्यक्षता नागपुर के वरिष्ठ कथाकार जयशंकर ने की। उन्होंने कहा कि हिंदी और साहित्य संकट से गुजर रहे है। विचारों को जो भावनाओं में बदलता है वही साहित्य होता है। जो विचारों को भावनाओं में नहीं बदल सकता वह साहित्य नहीं हो सकता। संस्कृति सभ्यता का नैतिक आयाम और सौंदर्य आयाम को साहित्य स्थापित करता है। कार्यक्रम में उन्होंने मृत विषय पर कथा का पाठ किया, जिसमें कथा और कथाकार के बीच कैसा संबंध होना चाहिए यह बताने की कोशिश थी। इस अवसर पर वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल ने कहा कि बैठकी का सिलसिला निरंतर जारी रहेगा। हम प्रदेश ही नहीं देश के वरिष्ठ साहित्यकारों का सानिध्य प्राप्त कर रहे हैं। वनमाली सृजन पीठ युवाओं को मंच देने के लिए भी संकल्पित है। कार्यक्रम का संचालन सुनील चिपड़े ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रदेश और बिलासपुर के साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।


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