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सुदूर अंचल तक तक पहुंच रही है हाट बाजार क्लिनिक योजना

 छत्तीसगढ़ का आदिवासी ग्रामीण जीवन पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर रहा है। देवी देवताओं पर विश्वास इतना ज्यादा कि कितनी भी बड़ी विपदा आ जाए बैगा...


 छत्तीसगढ़ का आदिवासी ग्रामीण जीवन पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर रहा है। देवी देवताओं पर विश्वास इतना ज्यादा कि कितनी भी बड़ी विपदा आ जाए बैगा पहले और डाक्टर बाद में या फिर डाक्टर के पास तो जाना ही नहीं। नारायणपुर जिला पूरी तरह से प्राकृतिक वन संसाधनों से आच्छादित है। घने जंगल यहां के आदिवासियों के लिए स्वर्ग के समान हैं तभी तो वो जंगल और पहाड़ छोड़कर गांवों में बसने के लिए आना ही नहीं चाहते थे। जिले में विशेष पिछड़ी अबुझमाड़िया जनजाति अधिक मात्रा में रहती है और इनमें से ज्यादातर कृषि एवं अपने पुरखो के पारंपरिक कार्यों में ही लिप्त है।

छत्तीसगढ़ एक आदिवासी प्रधान राज्य है जहां के 146 में 85 विकासखंड आदिवासी घोषित हैं। ऐसे में आदिवासियों के उत्थान के लिए राज्य सरकार का कार्य करना लाजमी है। हालांकि पिछले चाय वर्षों में जो परिवर्तन आया है वो पहले कभी देखने को नहीं मिला। खास तौर पर आदिवासियों के स्वास्थ्य को लेकर जो परिवर्तन आया है उसकी पुष्टि केंद्र सरकार के आंकड़ों से भी हुयी है और ये सब कुछ मुमकिन हुआ है मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के निर्देशों पर चलाए जा रहे आदिवासी कल्याण की योजनाओं से। इन्हीं योजनाओं में से एक है मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना।

 

सुदूर अंचल तक तक पहुंच रही है हाट बाजार क्लिनिक योजना


आदिम समुदाय भले ही जंगलों एवं पहाड़ों को आम तौर पर न छोड़े , लेकिन बाजार करने के लिए वो नियमित रूप से गांवों में आते ही हैं। यही वजह रही की मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच ने हाट बाजार क्लिनिक योजना का रूप लिया। अब आदिवासी जनता को अस्पतालों तक पहुंचने की जरूरत नहीं है, बल्कि अस्पताल खुद उनके घरों के पास पहुंचता है।

बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी हाट बाजार क्लिनिक योजना से सुदूर एवं पहुंच विहीन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों  तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच अब काफी आसान हो गई है। शहरों से लेकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के हाट बाज़ारों तक हाट बाजार क्लिनिक के माध्यम से निःशुल्क परामर्श ,जांच तथा दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं और इससे योजना की लोकप्रियता  लगातार बढ़ती जा रही है।

एक समय ऐसा था कि नारायणपुर जिले के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणो को मौसमी बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवानी पड़ती थी, लेकिन बीते चार साल में परिवर्तन ये आया है कि अब इनहें अस्पताल तक नहीं जाना पड़ता, अस्पताल की सारी सुविधाएं हाट बाजार के जरिए इन तक पहुंच रही हैं।


16 हाट बाज़ारों में लगती है हाट बाजार क्लिनिक योजना


नारायणपुर जिले में 16 जगहों पर मुख्यमंत्री हाट बाज़ार क्लीनिक योजना का संचालन किया जा रहा है। नारायणपुर विकासखण्ड में 9 जगहों पर वही ओरछा विकासखण्ड में 7 जगहों पर इसका संचालन किया जा रज है। इसके लिए 5 एमएमयू की सेवाएं ली जा रही हैं। 


9 महीने में 28 हजार से अधिक को मिला निःशुल्क जांच एवं दवाईयों का लाभ


वनाच्छादित नारायणपुर जिले में मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना के तहत वर्तमान में 16 साप्ताहिक हाट बाजारों में 5 एमएमयू के द्वारा स्वास्थ्य विभाग की टीम दोनों विकासखण्ड के हाट बाजार में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि  1 अप्रैल 2022 से अभी तक कुल 28 हजार 589 मरीजों ने स्वास्थ्य परीक्षण करवाया तथा निःशुल्क दवा वितरण का लाभ लिया। इस समयावधि में योजना के अंतर्गत एमएमयू वाहन 565 साप्ताहिक हाट बाजारों में पहुंचे। 

आदिवासी अंचल में सुदूर गांवों में रहने वालों को मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना के तहत ज्यादा सुविधाएं मिली इसके लिए प्रत्येक सप्ताह नेत्र सहायक के द्वारा नेत्र परीक्षण उपचार एवं दंत चिकित्सक द्वारा दांतों से संबंधित बीमारियों की भी जांच की जा रही है। इस तरह से मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना से मरीजों को बेहतर चिकित्सा परामर्श, निःशुल्क दवा वितरण के साथ ही गंभीर मरीजों को उचित इलाज के लिए उच्च चिकित्सकीय संस्थाओं में रेफर भी किया जा रहा है।


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